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हनुमानगढ़ के गोगामेड़ी में राजस्थान शिक्षक संघ का महाधिवेशन शिक्षा केवल डिग्री नहीं, राष्ट्रनिर्माण का माध्यम होनी चाहिए-राज्यपाल

जयपुर, 27 जून। राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने शिक्षकों को राष्ट्रनिर्माण की रीढ़ बताते हुए कहा कि शिक्षा केवल बुद्धि नहीं, चरित्र गढ़ने का माध्यम होनी चाहिए। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय प्रदेश समिति के दो दिवसीय महाअधिवेशन का समापन शुक्रवार को हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी के गोरक्षधाम में हुआ। समापन सत्र में राज्यपाल ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि सन् 1835 की मैकाले शिक्षा नीति ने भारतीय शिक्षा की आत्मा को खत्म किया था, लेकिन अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उस आत्मा को पुनः स्थापित कर रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केवल पाठ्यक्रम का बदलाव नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा को पुनर्जीवित करने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि इस नीति के निर्माण में 400 कुलपति और 1000 से अधिक शिक्षाविदों ने दो वर्षों तक मंथन किया। उन्होंने कहा कि भारत की गुरुकुल परंपरा में शिक्षा जीवन पद्धति थी, जहां छात्र को केवल विषय नहीं, जीवन जीना भी सिखाया जाता था। आज आवश्यकता है कि शिक्षक फिर से उसी परंपरा को जीवित करें। उन्होंने इस अवसर पर शुभांशु शुक्ला, राकेश शर्मा सहित हीरालाल शास्त्री, हरिभाऊ उपाध्याय, दुर्गाराम, डॉ भीमराव अंबेडकर, लाल गोविंद प्रभु, केशव माधो का जैसे सामाजिक, राजनैतिक और वैज्ञानिक व्यक्तित्व की प्रेरणदायक जिवनी का जिक्र किया। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक समाज का दर्पण है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षकों को उच्चतम वेतन देने वाली जर्मनी की शिक्षा प्रणाली का उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षक को सबसे अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। बच्चे को केवल नंबर नहीं, संस्कार देना शिक्षक का धर्म है। इस मौके पर राज्यपाल और शिक्षा मंत्री ने गुरु गोरखनाथ धाम और गोगाजी के दर्शन किए तथा पूजा अर्चना की। शिक्षा एवं पंचायतीराज मंत्री श्री मदन दिलावर ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षक केवल पढ़ाता नहीं बल्कि विद्यार्थियों को गढ़ता है। उन्होंने कहा कि मूर्तिकार मिट्टी से राम और रावण दोनों बना सकता है, यह निर्णय शिक्षक के हाथ में होता है कि वह क्या बनाए।#breakingnews #news #rajasthannews #currentnews #indianews #politicalnews #newstoday #latestnews #viralnews #todaysnews