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राज्य की साथिनों और पर्यवेक्षकों को दिया जा रहा है विशेष प्रशिक्षण—अब ये महिलाओं और बच्चों को उनके सभी कानूनी अधिकारों की जानकारी देंगी
जयपुर, 17 सितम्बर। राज्य की साथिनों और पर्यवेक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे वे महिलाओं और बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी दें और उन अधिकारों की रक्षा और योजनाओं का लाभ उठाने में उनकी मदद कर सकें। प्रथम चरण में महिला अधिकारिता निदेशालय ने सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) के सहयोग से अजमेर, भीलवाड़ा, बारां और नागौर जिलों की 28 साथिनों और पर्यवेक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया है। यह प्रशिक्षण चार नियोजित प्रशिक्षण सत्रों में से पहला है, जो विशेष रूप से साथिनों और पर्यवेक्षकों के लिए आयोजित किए जा रहे हैं। महिला अधिकारिता निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक श्रीमती सीमा शर्मा ने बताया कि राज्य में साथिनों और पर्यवेक्षकों का एक प्रशिक्षित कैडर तैयार किया जा रहा है ताकि वे जेंडर-आधारित हिंसा की रोकथाम की दिशा में बदलाव ला सकें। इस व्यापक प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य साथिनों को आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करना करना है ताकि वे मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें और अपने समुदाय में जेंडर-आधारित हिंसा की रोकथाम की क्षमता को और सशक्त बना सके। इसे हासिल करने के लिए साथिनों की क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि वे हिंसा से पीड़ित महिलाओ को आवश्यक सहायता सेवाओं से जुड कर महिलाओं और बालिकाओं से जुड़ी योजनाओ और सेवाओ के प्रभाव का कर सकें, जेंडर रेस्पोंसिव बजटिंग की पैरवी कर सकें। इससे संसाधनों का आवंटन महिलाओं की विशिष्ट जरूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकेगा। इस प्रयास की सफलता अंतर्विभागीय समन्वय पर भी निर्भर करती है। पंचायती राज विभाग और राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारियों ने मास्टर ट्रेनरों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ग्राम पंचायत विकास योजना का लाभ उठाने के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजना उपनिदेशक श्री जी. डी. रामना ने कहा कि इन योजनाओं में जेंडर बजटिंग को एकीकृत करने पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि संसाधनों का न्यायसंगत आवंटन हो सके, महिलाओं और बालिकाओं की जरूरतें पूरी हों, ग्राम सभाओं के निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके जिससे वे उन्हें अपने समुदायों की विकास प्राथमिकताओं को आगे ले जाने में अधिक सहायक हो सके। श्री प्रदीप कुमावत, उप सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) ने नालसा की नई योजनाओं और सेवाओं को समझाते हुए कहा कि नि:शुल्क कानूनी सहायता की आसान पहुँच को नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (नालसा) ऐप के माध्यम से और मजबूत किया जा रहा है जिससे जरूरतमंद को कानूनी सहायता आसानी से मिल सके। इसके अतिरिक्त राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना सुनिश्चित करती है कि एसिड अटैक पीड़ितों को योजना का लाभ मिल सके। सृजन की सुरक्षा योजना— 2025 में नवजात बालिका को ‘ग्रीन कार्ड’ दिया जाता है। अवेयरनेस सपोर्ट हेल्थ एक्शन स्टैंडर्ड एक ऑपरेटिंग प्रोसीजर है जो महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी में सुधार लाने के लिए बनाई गई है। इय प्रोसीजर और बाल-अनुकूल विधिक सेवा योजना की जानकारी भी इस प्रशिक्षण में दी गई है। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकथाम से सम्बंधित कानूनों और योजनाओं की व्यापक समझ प्रदान की। कार्यशाला पर अपने विचार साझा करते हुए अजमेर की साथिन उमराव ने कहा कि यह प्रशिक्षण जानकारीपूर्ण था। हमने कई नई बातें सीखीं जो हमारे काम में अमूल्य सिद्ध होंगी। अब मुझे विश्वास है कि मैं कहीं अधिक प्रभावी हो कर अपने समुदाय की महिलाओं और बालिकाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में और अधिक सार्थक योगदान प्रदान करूंगी। प्रशिक्षण के अंतिम दिन, साथिनों और पर्यवेक्षकों ने मिलकर एक व्यावहारिक पायलट कार्य योजना तैयार की। सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने पर विभाग द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।#breakingnews #news #rajasthannews #currentnews #indianews #politicalnews #newstoday #latestnews #viralnews #todaysnews